लेखनी कहानी -08-Oct-2022 यूरेका यूरेका
"यूरेका यूरेका" चिल्लाते हुये खैराती लाल जी दौड़े चले जा रहे थे । उनकी खुशी देखते ही बनती थी जैसे उन्हें स्वर्ग का राज्य मिल गया हो । उनके पीछे पीछे चरण चंपू जी, चाटुकार मल जी, जड़खरीद सिंह, गुलाम खान ,कलाकार चंद,पलटूराम और छुटभैया जैसे लोगों की फौज दौड़ी चली जा रही थी । सबके चेहरे चमक रहे थे ।
उस भीड़ को देखकर मार्केट धड़ाधड़ बंद हो रहे थे । बेचारे दुकानदारों की सबसे बड़ी आफत ये भीड़ ही रहती है । कोई बंद हो, रैली हो या कोई धरना प्रदर्शन । सब लोग मार्केट बंद करवाने पर तुले रहते हैं । गुंडे बदमाशों की तो पूछो ही मत । आजकल इन लोगों ने सफेद कपड़े पहन लिए हैं और अपने नाम भी बदल लिए हैं । पहले ये लोग चोर सिंह, लुटेरा मल, डाकू राम , उचक्का चंद , बदमाश खान नाम रखा करते थे आजकल इन्होंने अपना नाम कोरपोरेटर, पंच , प्रधान, विधायक, सांसद वगैरह रख लिया है और अब ये चिंदी चोर नहीं रहे अब ये करोड़ों अरबों का माल हड़पते हैं ।
भीड़ का कुछ पता नहीं होता है कि वह क्या करेगी । फिर वह भीड़ चाहे रईस लुटेरों की हो या चिंदी चोरों की । भीड़ तो भीड़ है । और उसका एक ही चरित्र है लूट, खसोट, छीना झपटी , धक्का मुक्की, हाथापाई , गाली गलौज, मारपीट आदि आदि । इसमें बेचारे दुकानदार इस तरह से मसले जाते हैं जैसे किसी मदमस्त गजराजों के झुण्ड से कोई उपवन मसला जाता है । इसलिए दुकानदार अपनी बरबादी टालने के लिए अपनी दुकान का शटर गिराकर किसी कोने में दुबक जाते हैं और फिर तमाशा देखते रहते हैं ।
ऐसी भीड़ से स्त्रियां भी बहुत भयभीत रहती हैं । पता नहीं किस "दुष्ट" की कुदृष्टि किसी अबला पर पड़ जाये और वह स्त्री उसी भीड़ में ही "चीरहरण" की शिकार हो जाये या उसके नाजुक अंग कहीं उस भीड़ में मसले ना जायें । अत : वे भी भयभीत हिरणी की तरह भाग खड़ी होती हैं या कहीं सुरक्षित स्थान तलाश कर उसमें शरणागत हो जाती हैं । हां, कुछ अति आधुनिक युवतियां ऐसे अवसर पर बहुत छोटे छोटे कपड़े पहन कर अंग प्रदर्शन करने चली आती हैं कि क्या पता इस भीड़ में शामिल किसी "कलाकार चंद" की निगाह उसके अंग प्रत्यंग या फिगर पर पड़ जाये और उसे किसी फिल्म, फिर वह चाहे सेमी या पूर्ण "पोर्न" ही क्यों न हो, में कोई काम मिल जाये । इससे यह सिद्ध होता है कि बुरे काम में भी कुछ न कुछ अच्छा अवश्य होता है ।
बड़े मजे की बात थी कि इस भीड़ को खुद पता नहीं था कि आखिर मिल क्या गया था ? एक चाटुकार मल ने एक चरण चंपू से पूछा "भाई, तुम्हें पता है क्या कि क्या मिल गया है" ? तो वह चरण चंपू कहने लगा "आदरणीय, मुझे तो कुछ नहीं पता है । हाईकमान का इतना ही आदेश है कि खैराती लाल का अनुसरण करना है । जब मैंने खैराती लाल जी को "यूरेका यूरेका" चिल्लाते हुए देखा तो मैं भी जोर जोर से चिल्लाने लगा और फिर भीड़ भी हम लोगों की देखा देखी चिल्लाने लगी । इतने में खैराती लाल जी दौड़ने लगे तो हमारा पूरा कुटुंब जड़खरीद सिंह, गुलाम खान वगैरह सब उनके पीछे पीछे दौड़ने लगे । बस इतना ही पता है, इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं पता ।
सब लोग एक दूसरे से पूछने लगे । किसी को कुछ पता नहीं था । आखिर सबने खैराती लाल जी को घेर लिया और एक स्वर से पूछा "अरे भाई ये तो बता दो कि आखिर मिल क्या गया है तुम्हें" ?
"वही, जिसकी तलाश थी"
"किसकी तलाश थी आपको" ?
"सत्ता वापिसी के मंत्र की"
सब लोग भौंचक होकर एक दूसरे को देखने लगे । ऐसा कौन सा मंत्र मिल गया था खैराती लाल को जिससे उन्हें खोई हुई सत्ता मिल सकती थी ? मगर किसी को कोई आईडिया नहीं था । तब सब चरण चंपुओं ने खैराती लाल जी के चरण पकड़ लिये और कहा "अब पहेलियां बुझाना बंद करो गुरुदेव और ये बताओ कि कौन सा मंत्र मिल गया है आपको" ?
खैराती लाल जी ने गर्व से उस भीड़ की ओर देखा जैसे कह रहे हों कि देखो मेरे बगैर तुम कुछ भी नहीं हो । फिर अपनी जेब से एक फोटो निकाल कर हवा में लहराते हुए कहने लगा "ये है सत्ता वापसी का मंत्र" । और वे खुशी के मारे कूदने लगे ।
सब लोग उस फोटो को देखने लगे मगर उसमें कोई मंत्र नजर नहीं आया । सब लोग झल्ला कर बोले "इसमें तो कोई मंत्र नहीं है जी । आप वैसे ही मूर्ख बना रहे हैं हम सबको जैसे हम अब तक जनता को बनाते आ रहे हैं" ।
"जरा गौर से देखो इस फोटो को फिर तुम्हें दिखाई देगा वह मंत्र " खैराती लाल जी बल्लियों उछलते हुए कहने लगे ।
सब लोग उस फोटो को गौर से देखने लगे । वह एक सामान्य सी फोटो थी जिसमें एक सफेद दाढी वाला 52 वर्ष का "युवक" एक बुजुर्ग सी महिला के जूतों के तस्मे बांधता दिख रहा था । सब लोग उस फोटो को देखकर और अपने मालिक और मालकिन को पहचान कर झूमने लग गये । सच में बड़ा शानदार फोटो था वह । ममतामय दृश्य था वह । "बस, इस एक फोटो से जनता का हृदय परिवर्तित हो जायेगा और वह फिर से मालिक मालकिन को सत्ता सौंप देगी" । खैराती लाल जी ने अपना ज्ञान बघारते हुए कहा ।
खैराती चैनलों पर और अखबारों में वह फोटो चौबीसों घंटे चलने लगा । बड़े बड़े नामी गिरामी ऐंकर इस फोटो को "मील का पत्थर" सिद्ध करने में लगे रहे । गुलामों की फौज चरण वंदना करने लगी और कलाकार चंद इस पर कहानियां और फिल्म बनाने लगे ।
देश को एक नया नारा मिल गया था ।
"चरण वंदना नारा है ।
अब भारत देश हमारा है" ।
श्री हरि
8.10.22
Pratikhya Priyadarshini
08-Oct-2022 11:21 PM
Shaandar prastuti 👍👌
Reply
आँचल सोनी 'हिया'
08-Oct-2022 08:14 PM
Bahut khoob 🙏🌺
Reply
Gunjan Kamal
08-Oct-2022 06:18 PM
शानदार
Reply